रवीश कुमार का ब्लाँग पड़ा ,उसमे एक खबर थी जातिगत पूर्वाग्रह की एक और करतूत ,कि केसे एक सोसाइटि फ़्लॆट को बेचने के लिये एक महिला को सिर्फ़ इस लिये सोसाइटि के लोगो ने परेशान किया क्योकि वो अपने फ़्लॆट को एक मुस्लिम व्यक्ति को बेचना चाहती थी ।
यही हाल दिल्ली का है । मेरे इन्लाज को एक फ़्लॆट खरिदना था जो कि दिल्ली के पाड्व नगर मे एक बिल्डर फ़्लेट था । बेचने वाले कि पहली शर्त यह थी कि आपकी कास्ट ऊची होनी चाहिये वर्ना बाकि फ़्लॆट वाले उसको बेचने नही देंगे । हमे अपनी कास्ट को छुपा कर वो फ़्लॆट लेना पड़ा , मजबूरी थी क्योकि लोकेशन बहुत अच्छी थी ओर हम वो फ़्लॆट किसी भी कीमत पेर लेना चाहते थे । अखिर वो फ़्लॆट हमने खरीद लिया ओर उसको रेन्ट पर दे दिया ।
क्या एक आदमी को अपनी इच्छा से कही रहने का अधिकार भी नही है। हर जगह पर क्या जाति ही सबसे बड़ा अधिकार है ।
आखिर हम कब बड़े होंगे। अब तो बड़े हो जाओ ।
Apr
30
Posted by
Devender Kumar
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