आज कल कुछ लोग बुराई करो और कमाई करो के नारे से माला-माल हो रहे है । अब बुराई चाहे राज ठाकरे उत्तर भारतियो की कर के अपना नाम कमाये या कहे वोट कमाये या एकता कपूर सास-बहू सीरियल के जरिये बुराई को बड़ावा दे ।
बुराई भी नाम और पैसा कमाने का साधन बनेगी शायद ही किसी ने कभी सोचा होगा । लेकिन आज हर कोई इस शोर्ट-कट को आजमा रहा है । अब राज ठाकरे को ही ले लीजिये । बाल ठाकरे से अलग होने के बाद जब लगा कि अब उनको कोई पूछने वाला नही है उन्होने फ़िल्मी स्टाईल से अपना रंग बदला और लगे उत्तर-भारतियो को कोसने । शायद ये उन बाँलीबुड फ़िल्मो का ही असर है जिनको देख कर राज बड़े हुये है । लेकिन शायद उन्होने यह नही सोचा होगा कि इन फ़िल्मो का क्लाईमेक्स क्या होता है ? हमेशा बुरा आदमी जिसको कि हम विलेन कहते है वो बुरी तरह लोगो या हीरो से पिटता है । या तो वो जेल में होता है या मारा जाता है । पता नही मँहाराष्ट्र कि इस फ़िल्म के विलेन का क्या होना है ? वो तो समय ही बताऎगा । उम्मीद करते है की इसका अन्त भी हिन्दी फ़िल्मो की तरह ही हो ।
दूसरा महाराष्ट्रियन जो बुराई को होट केक की तरह इस्तेमाल कर रहा है वो हे एकता कपूर । एकता कपूर ने अपने सीरियलस में सास को बहू, देवरानी से जिठानी, भाई को भाई और न जाने कितने रिस्तो को तोड़ने के लिये दिमाग लगाया है । आज कल पूरे देश में औरते इन सीरियलस को देख कर , परिवार में एक दूसरे को पछाड़ने के नुक्से सीख रहे है । और एकता कपूर दोनो हाथो से पैसा बटोर रही है ।
क्या हम राज ठाकरे और एकता कपूर को आज के हालात मे अलग करके देख सकते है ? शायद नही, बिल्कुल नही ।
हमारा समाज भी बुराई को अपने हिसाब से परिभाषित कर लेता है । आज जब महाराष्ट्र में यह सब हो रहा है तो कितने ही महाराष्ट्रियन उसको सही सबित करने में लगे होगें । और यही बात एकता कपूर के सन्दर्भ में भी कही जा सकती है ।
भगवान करे इन लोगो को जल्दी अकल आये । वर्ना समाज को बाटंने की जो साजिश ये लोग कर रहे है उससे न जाने कितने परिवार तवाह होंगे ।