फ़िल्म देखने के लिये होम बटन का इस्तेमाल करे, ताकि पूरा पेज देख पाये । कृप्या पार्ट - १ नीचे से देख्नना शुरू करे ।

प्रक्रिती फ़ाउन्डेशन के अवार्ड्स ‘वन बिलियन आईस इन्डियन डोक्युमेन्ट्री फ़ि्ल्म फ़ेस्टीवल २००७ ’ कि विजेता फ़िल्म ‘इंन्डिया अनट्च’ जिसके निर्माता मिस्टर के.श्टेलिन है, को देख कर लगा कि आज भी भारत में दलित किस हालात में रह रहे है । जो लोग सिर्फ़ शहरो में बैठ कर यह सोचते है कि ऊँच नीच खत्म हो गई है उनके
मुँह पर यह फ़िल्म एक तमाचा है ।

‘इंन्डिया अनट्च’कहानी है उन दबे कुचले लोगो की जो कि छुआ-छूत कि वजह से आज भी अपना हक हासिल नही कर पाये है । फ़िल्म के निर्माता मिस्टर के.श्टेलिन ने चार साल तक पूरे देश में घूम कर दलितो ,जो की चार हजार साल की धार्मिक व्यव्स्था के सताये हुये है ,पर होने वाले जुल्मो के करीब से देखा है । यह फ़िल्म
उन सभी धर्मो का पर्दा-फ़ास करती है जो कि दावा करते है कि उनके धर्म मे सभी बराबर है, चाहे वो सिख धर्म हो या किर्स्चन ,इस्लाम यहाँ तक कि केरल में क्मुनिस्ट ,सभी में दलितो का हाल एक जैसा है । हिन्दू धर्म तो छुआ-छूते का घर है ही । भारतिय मिडियां भी तस्वीर का सिर्फ़ एक रुख ही दिखाता है,चाहे वो
रिर्जवेशन को लेकर हो ।

उम्मीद है कि यह फ़िल्म देख कर कुछ तो लोगो को शर्म आयेगी । वर्ना इस देश का कुछ भी नही हो सकता ।



Time

चिट्ठाजगत

चिट्ठाजगत
www.blogvani.com