अभी तक तो आपने अमर चित्रकथा पढ़ी होगी , हमने भी पढ़ी ओर खूब चटकारे ले कर पढ़ी । लेकिन अब बड़े हो गये है और शायद अमर चित्रकथा को भूल भी चुके थे, लेकिन एक किरदार ने हमे वो काँहनिया दुबारा याद करने पर मजबूर करा दिया है , और वो किरदार है अमर सिंह ।
जी हाँ समाजवादी अमर सिंह । अमर सिंह जी कितने समाजिक है ये तो आपको अपने टी.वी, न्यूज चैनलो के माध्यम से पता चल ही गया होगा । उनकी भाषा पर भी गौर किया होगा । अमर सिंह जी कि ये भाषा शैली भी उतनी ही सामाजिक है जितने कि खुद वो ।
जब से ये साहब राजनिती में आये है ,राजनिती का रंग ही बदल गया है । “ खूब जोड़-तोड़ किया है” अरे साहब, ये आप क्या कह रहे है ? समाज में रहेगें तो जोड़ - तोड़ तो करनी ही पड़ेगी वरना कौन हमे समाजवादी कहेगा ।
पहले यू.पी. में सरकार बनवाई और खूब मलाई उड़ाई , मलाई भी कब तक खाते । एक ना एक दिन तो ऎसा होना ही था । बहुत जोर लगाया , बड़े भईया को भी लगाया। सोचा जनता को तो फ़िल्मी कलाकारो से आसानी से बर्गलाया जा सकता है , वेसे भी बड़े भईया तो भगवान है ,लोगो के दिलो पर राज करते है । कुछ लोगो ने तो मंदिर भी बनाया है, तो भला लोग उनकी बात कैसे टाल सकते है । लेकिन हाय री किस्मत , ऊँट बैठा भी तो किस करबट ? सरकार भी गई और इज्ज्त भी । जनता भी जानती है कि किसको कितनी देर तक रखना है ।
सत्ता में रहते हुये खूब मुहाबरे चलाये, अपोजिसन के नेताओ के लिये नई-२ कहानिया गड़ी । किसी को सुसरी कहाँ तो किसी को विदेशी । तब सत्ता में थे, अपना राज था ।सोचा भी न था कि कभी सत्ता से बाहर होगें । लेकिन राज जाते ही नई सरकार तो पीछे हि पड़ गई । सारे खाते खुलवा दिये । कुछ न्यूज चैनलो ने तो यह खबर चलाई कि अमर विदेश भागने की कौशिस कर रहे है , लेकिन उनको तो सरकार जाते ही हास्पिट्ल जाना पड़ गया । सामने आना पड़ा , मजबूरी थी, नही तो भगौड़ा कहलवाया जाता । कुछ दिन कि चुप्पी के बाद सभी हारे हुये दलो के नेताओ को इक्ट्ढा किया । हर दो दिन में एक स्टॆट्मेन्ट आता कि हम एक है । ओर अकसर लोग यह तब बोलते है जब उनमें कोइ लड़ाई हो , ताकी दुनियावालो को उल्लू बनाया जा सके ।
अब फ़िर एक मौका आया है अमर कहानियाँ लिखने का । एक बार फ़िर जो अपने थे वो पराये हो गये, ओर जो पराये थे वो अपने । सत्ता के लिये सौदे बाजी जो करनी है।
यू.पी.ऎ. सरकार अमेरिका के साथ न्यूकिलियर डील चाहती है लेकिन लेफ़्ट उसके पक्ष में नही है । उनकी भी मजबूरी है , अगर पक्ष लेते है तो चदां आना बंद हो जायेगा ,चाहे देश जाये भाड़ में ।
अमर सिंह शतरंज के खिलाड़ी रहे होगें तभी पहले लेफ़्ट के साथ थे लेकिन अब काग्रेंस के पाले में है । पाले बदलना तो कोई इन साहब से सीखे ।
सुना है कि आज कि प्रेस- कांफ़्रेस में इन्होने एक पत्रकार को बहार निकाल दिया । शायद उसके कोई सबाल का जवाब उनके पास न हो । इसलिये सब के सामने कोइ पोल ना खुले ऎसा तो करना ही था । देखते है अभी और कितना मसाला अमर हमे देते है क्योकी फ़िल्म अभी बाकी है ।