नेताओ के दिन लगता है बुरे चल रहे है , इसी लिये उन के मुँह से जो शब्द निकल रहे है , वो जनता को ऎसे चुभ रहे है कि नेताओ को बार-२ सफ़ाई देनी पड़ रही है । इसी माहौल में एक कवि क्या सोचता है , आप जरा पढ़िए, यह कविता Shreya Tiwari द्वारा लिखी गई है ।

हे, भारत के नेताओ , तुम नमक देश का खाते हो ,
अर्थव्यवस्था का ढांचा , कमजोर तुम कर जाते हो ….!
घोटाला करते-२ , तुम नमक हरामी करते हो,
फिर भी खादी पहन दिखा, सच्चे नेता तुम बनते हो….!
नमक की खातिर ही पन्ना ने, चंदन का बलिदान किया ,
नमक की खातिर ही राणा ( राणा प्रताप ) ने,बरसो वन में वास किया ….!

अति का अन्त सुनिश्चित है , एक दिन ऐसा भी आयेगा ,
नई क्रान्ति होगी भारत में, नेता ना जी पायेगा …!
भारत माँ का हर बच्चा तेरी करतूते जान गया ,
देश के रक्षक ही ,भक्षक है , जन समूह पहचान गया …!


देश की नई पीड़ी के लिये

ऎ , नन्हें वीरो तुम, राही हो प्थरीली राहो के…
सम्भ्ल-२ के चलते जाना, भड़कीले अंगारो पे …..!!
अरे देश के, नवदीपक तुम , भुझे-२ से मत रहना…,
एक-एक मिलकर रहना, इस धरती का हो तुम गहना …!!
मुझे यकीं तुम आज के नेता की ,पहचान पदल के रख दोगे ..!
धरती माँ के घावो मे , प्रगती का मरहम भर दोगे…!!